एक प्लास्टिक से मुक्त वातावरण की कोशिश

योगदानकर्ता:रेनू आर्य
प्रतिफल: - प्लास्टिक मुक्त जुलाई 

मनुष्य ने समाज और पर्यावरण के हर स्तर को संक्रमित किया है। फिर भी, हम स्थिति को सुधारने के लिए कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेते हैं। बदलाव के लिए हमें अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है, हमें छोटी-छोटी चीजों की देखभाल शुरू करनी चाहिए, न कि उन चीजों का उपयोग करने के लिए जो पृथ्वी के लिए हानिकारक हैं। पृथ्वी हम मानवों से कई ज़्यादा आपदाओं का सामना करती है, भूकंप, ज्वालामुखियों, सौर ज्वालाओं, सूरज के धब्बों, दुनिया भर में बाढ़, ज्वार की लहरों, दुनिया भर में आग लगने, बर्फ के युग और बहुत कुछ जिनको हम उन सभी को अनदेखा कर रहे हैं, एक छोटा सा योगदान करने के बारे में भी नहीं सोच रहे हैं, मुझे लगता है कि पृथ्वी कहीं भी नहीं जा रहा है। हम जा रहे हैं! "विकास" की ओर जो की बेहद एक तरफा हो गया है. हम जानते हैं कि प्लास्टिक प्रदूषण सर्वव्यापी है और विश्व स्तर पर समुद्री और मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में कैसे रिपोर्ट किया गया है। हाल के वर्षों में रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि कार्बनिक रसायनों का एक कॉकटेल समुद्री प्लास्टिक के मलबे के साथ जुड़ा हुआ है, जिसमें फथलेट्स जैसे रसायन शामिल हैं जो प्लास्टिक के उत्पादन के दौरान प्लास्टिसाइज़र के रूप में जोड़े जाते हैं।





मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं खुद को इस देश के जागरूक नागरिक के रूप में पेश करती हूं तो मैं अपनी आवाज़ को और लोगो tak पंहुचा सकती हूँ. मैं समुदाय में एक छोटा सा अंतर कर सकती हूं. प्रकृति की वास्तविकता हमें बहुत कुछ दिखा रही है, हम पर्यावरण से जो कुछ भी लेते हैं उसे वापस देने की ज़रूरत भी है और यह महामारी (covid )पर्यावरण में हम जो कर रही हैं उसका एक बड़ा उदाहरण है। मैं पिछले 2 सालो से महाराष्ट्र (पूणे ) में रह रही थी, हालाँकि वहा प्लास्टिक बैग काफी कम इस्तेमाल होते है किंतु फिर भी जिस समुदाय में मैं रह रही थी वहा लोग इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे थे, पुणे छोटा सिटी है जहाँ हर साल बहुत बारिश होती है और नालियाँ भर जाती है, जिसके कारण बहुत परेशानियाँ हो रही थी. जिसका एक छोटा सा भाग प्लास्टिक का इस्तेमाल था.मैं अपने इलाके में प्लास्टिक बैग पर शुल्क या प्रतिबंध लगाकर पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाह रही थी. मैं वास्तव में लोगो तक यह बात बहुत गंभीरता से पहुँचाना चाह रही थी की प्लास्टिक की थैलियां हमारे पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा रही हैं। पुणे में रहने के दौरान मैंने और मेरे दोस्तों ने प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की कोशिश की। इसके अलावा कम से कम हमारे समुदाय में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगे । हमने जागरूकता अभियान चलाने के लिए बहुत सारे नुक्कड़ नाटक और डोर टू डोर, समाचार पत्रिका का उपयोग किया। हमने सड़को , दीवारों पर नोट चिपकाएं प्लास्टिक का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए। एक-उपयोग वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने में कितनी मदद मिल सकती है। मुझे हमेशा लगता है कि छोटे विक्रेताओं की दुकानों में जिला स्तर पर भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित पॉलिथीन एक अच्छी पहल है, लेकिन क्या इससे प्लास्टिक प्रदूषण पर काबू पाना संभव है जब तक कि बड़े निर्माता पॉलिथीन और पॉली बैग का निर्माण बंद नहीं होते? क्या इस प्रकार की निर्माण इकाई पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? यदि उत्पत्ति पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा, तो स्थानीय जनता भी इस प्रकार के प्लास्टिक बैग का उपयोग नहीं कर पाएगी जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं। यदि हम वास्तव में काम करते हैं और इसके लिए सक्रिय रूप से लड़ते हैं तो हम अपने समुदाय में बदलाव ला सकते हैं।





अगर हम बदलाव लाने में लगने वाले समय के लिए तैयार हैं तो कई चीजें हम कर सकते हैं। मेरे समुदाय में सभी समय कोशिश किया प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल नहीं करेंगे। और समुदाय में एक ऐसी जगह का निर्माण भी किया जहाँ हमने काफी सरे सूती कपड़े के बैग रखे. ताकि अगर लोग घरो से लाना भूल जाते है तो वहां से ले सके. जो बहुत कारीगर साबित हुआ. स्थानीय स्तर पर होने वाली समस्याओं को जानना महत्वपूर्ण है जिन्हें बदलने की आवश्यकता है और से पहल हम अंतर को बना सकते हैं। मुझे पता चला कि प्लास्टिक बैग, रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद कितना हानिकारक हो सकता है। मैंने यह भी सीखा कि उन थैलों से पुन: प्रयोज्य प्रकार पर स्विच करना कितना सरल है या अगर खरीदे गए उत्पादों की मात्रा छोटी है तो बस कुछ भी उपयोग नहीं करना चाहिए।







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